न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम

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न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या

किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है…

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किसी से भी नहीं हम सब्र की तलक़ीन लेते है हमें मिलती नहीं जो चीज उसको छीन लेते

आँखे बन जाती है सावन की घटा शाम के बाद

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आँखे बन जाती है सावन की घटा शाम के बाद लौट जाता है अगर कोई खफ़ा शाम के

मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही पागल हो जाएगा…

मुझको पागल कहने वाला

कोई हसीन मंज़र आँखों से जब ओझल हो जाएगा मुझको पागल कहने वाला ख़ुद ही पागल हो जाएगा,

तभी तो मैं मुहब्बत का कही हवालाती नहीं होता…

तभी तो मैं मुहब्बत

तभी तो मैं मुहब्बत का कही हवालाती नहीं होता जहाँ अपने सिवा कोई शख्स मुलाक़ाती नहीं होता, गिरफ्तार

मैं रातें जाग कर अक्सर

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मैं रातें जाग कर अक्सर वो यादें झाँक कर अक्सर निशाँ जो छोड़ देती है मेरी ही ज़ात

मेरे दोस्त, ऐ मेरे प्यारे अभी बात है अधूरी…

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मेरे दोस्त, ऐ मेरे प्यारे अभी बात है अधूरी अभी चाँदनी है बाक़ी अभी रात है अधूरी, वही

चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो

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चाँद यूँ कुछ देर को आते हो चले जाते हो मेरी नज़रों से छुप कर बादलो में शरमाते

एक हकीकी ख़्वाब हुआ तेरा साथ सराब हुआ

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एक हकीकी ख़्वाब हुआ तेरा साथ सराब हुआ, सब अंदेशे कमाल थे मुक़म्मल हुए, पैकर ए ज़माल थे,

मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है

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मैंने पल भर में यहाँ लोगो को बदलते हुए देखा है ज़िन्दगी से हारे हुए लोगो को जीतते