जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है
Dua Poetry
जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है
लेता हूँ उस का नाम भी आह ओ बुका के साथ कितना हसीन रिश्ता है मेरा ख़ुदा के
मेरे दिन की तरह रौशन मेरी हर रात होती है दुआ माँ की हर एक मौसम में मेरे
ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ? है ये दर्द सबको फिर तुझे ही क्यूँ
ज़िंदगी दी है तो जीने का हुनर भी देना पाँव बख़्शें हैं तो तौफ़ीक़ ए सफ़र भी देना,
किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई मेरे ख़ुदा नफ़रत ही अब दे रही है दिखाई मेरे ख़ुदा, अम्न
मौत तो एक दिन आनी ही है ज़िन्दगी जो मिली फ़ानी ही है, शख्स वो है अक्लमंद ओ
अपने थके हुए दस्त ए तलब से माँगते है जो माँगते नहीं रब से वो सब से माँगते
हम वक़्त ए मौत को तो हरगिज़ टाल न पाएँगे हम ख़ाली हाथ आए है और ख़ाली हाथ
हमने सुना था फ़रिश्ते जान लेते है खैर छोड़ो ! अब तो इन्सान लेते है, इश्क़ ने ऐसी