तेग़ ए जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त

Teg e zafa ko

तेग़ ए जफ़ा को तेरी नहीं इम्तिहाँ से रब्त मेरी सुबुकसरी को है बार ए गराँ से रब्त,

ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा

Khamosh is tarah se

ख़ामोश इस तरह से न जल कर धुआँ उठा ऐ शम्अ कुछ तो बोल कभी तो ज़बाँ उठा,

मुश्किल है पता चलना क़िस्सों से मोहब्बत का

Mushkil hai pata chalna

मुश्किल है पता चलना क़िस्सों से मोहब्बत का अंदाज़ा मुसीबत में होता है मुसीबत का, है नज़अ के

है आम अज़ल ही से फ़ैज़ान मोहब्बत का

Hai aam azal hi

है आम अज़ल ही से फ़ैज़ान मोहब्बत का इम्कान मुसल्लम है इम्कान मोहब्बत का, तोड़ा नहीं जा सकता

कुछ देर काली रात के पहलू में लेट के

kuch der kaali raat

कुछ देर काली रात के पहलू में लेट के लाया हूँ अपने हाथों में जुगनू समेट के, दो

कर्ब चेहरे से मह ओ साल का धोया जाए

Karb Chehre se mah

कर्ब चेहरे से मह ओ साल का धोया जाए आज फ़ुर्सत से कहीं बैठ के रोया जाए, फिर

तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए

Tum se Milte hi

तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए दिल मिले तो जान के दुश्मन क़बीले हो गए,

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है

Neend se aankh khuli

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है,

ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया

Zamin pe chal na

ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया कटा के पर को परिंदा उड़ान से भी गया,

अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की

Ab to shaharon se

अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की कोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानों की, अपनी पोशाक