जिस शेर का उन्वान मुहब्बत थी, वो तुम थे…

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जिस शेर का उन्वान मुहब्बत थी, वो तुम थेजिस दर्द का दरमान मुहब्बत थी, वो तुम थे, रंगीन

चाहा है तुझे मैंने तेरी ज़ात से हट कर…

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चाहा है तुझे मैंने तेरी ज़ात से हट करइस बार खड़ा हूँ मैं रवायात से हट कर, तुम

तुझे ना आयेगी मुफ़लिस की मुश्किलात समझ..

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तुझे ना आयेगी मुफ़लिस की मुश्किलात समझमैं छोटे लोगो के घर का बड़ा हूँ, बात समझ, मेरे अलावा

राह से हिज़्र की दीवार हटाने के लिए

raah se hizr ki

राह से हिज़्र की दीवार हटाने के लिएहाथ भी जोड़े उसको मनाने के लिए, अपनी खातिर तो कभी

फिर यूँ हुआ कि रास्ते यकज़ा नहीं रहे…

फिर यूँ हुआ कि

फिर यूँ हुआ कि रास्ते यकज़ा नहीं रहेवो भी अना परस्त था मैं भी अना परस्त, फिर यूँ

रात भी, नींद भी, कहानी भी

raat-bhi-neend-bhi

रात भी, नींद भी, कहानी भीहाय, क्या चीज़ है जवानी भी एक पैग़ाम-ए-ज़िन्दगानी भीआशिक़ी मर्गे-नागहानी भी इस अदा

खो न जाए कहीं हर ख़्वाब सदाओं की तरह…

kho-naa-jaaye kahin

खो न जाए कहीं हर ख़्वाब सदाओं की तरहज़िंदगी महव-ए-तजस्सुस है हवाओं की तरह टूट जाए न कहीं

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगा…

कब तक यूँ बहारों

कब तक यूँ बहारों में, पतझड़ का चलन होगाकलियों की चिता होगी, फूलों का हवन होगा, हर धर्म

मेरे ख़ुदा मैं अपने ख़यालों को क्या करूँ..

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मेरे ख़ुदा मैं अपने ख़यालों को क्या करूँअंधों के इस नगर में उजालों को क्या करूँ ? चलना

हौसले गम से लड़ गए मेरे…

is tarah sataya hai pareshan kiya hai

हौसले गम से लड़ गए मेरेअश्क मुश्किल में पड़ गए मेरे, मैंने हिज़रत का बीज क्या बोयापाँव जड़