यूँ ही उम्मीद दिलाते है ज़माने वाले…
यूँ ही उम्मीद दिलाते है ज़माने वालेकब पलटते है भला छोड़ के जाने वाले, तू कभी देख झुलसते
यूँ ही उम्मीद दिलाते है ज़माने वालेकब पलटते है भला छोड़ के जाने वाले, तू कभी देख झुलसते
हसरतों से भरा क़ब्रिस्तान हूँ मैंआबाद कर मुझे कि वीरान हूँ मैं, तसल्ली दे मुझको कि तू है
तरसती आँखे, उदास चेहरा, नजिफ लहज़े, बगैर तेरेबिखरी ज़ुल्फे, लिबास उजड़ा, वज़ूद ख़स्ता, बगैर तेरे, अमीक़ जंगल, घप
तरसती आँखे, उदास चेहरा, नहीफ़ लहज़ा, बगैर तेरेबिखरी ज़ुल्फे, लिबास उजड़ा, वज़ूद ख़स्ता, बगैर तेरे, अमीक़ जंगल, घप
मेरे जैसा बन जाओगे, जब इश्क़ तुम्हे हो जाएगादीवारों से टकराओगे, जब इश्क़ तुम्हे हो जाएगा, हर बात
दर्द का शहर बसाते हुए रो पड़ता हूँरोज़ घर लौट के आते हुए रो पड़ता हूँ जाने क्या
बहुत सलीक़े से चीख ओ पुकार करते रहेहम अपने दर्द के मरकज़ पे वार करते रहे ज्यादा उम्र
तुझसे मंसूब रहूँ तेरी कही जाऊँ पियातेरी निस्बत से लिखी और पढ़ी जाऊँ पिया झूमती फिरती हवाओ की
दर्द से यादो से अश्को से शनासाई हैकितना आबाद मेरा गोशा ए तन्हाई है, ख़ार तो ख़ार है
हवा ए शाम ! ज़रा सा क़याम होगा न ?चिराग़ ए जाँ को जलाओ, क़लाम होगा न ?