गम से वो मेरे आशना न हुआ कभी
और दुःख मेरा मुझ से जुदा न हुआ कभी,
ज़िन्दगी के सफ़र में साथ चलता रहा मगर
शनासाई हो कर भी वो शनासा न हुआ कभी,
ज़ख्मो पे उसने मरहम न रखा कभी
यूँ उस दर्द का कोई मदावा न हुआ कभी,
आशियाने में रह कर भी सायेबा न मिला कभी
हिस्से में उसके भी सुख न आया कभी,
गुज़रे बहुत मराहिल ज़िन्दगी के सफ़र में
मगर न कर सका मुहब्बत का इज़हार कभी..!!