फ़स्ल ए गुल है सजा है मयख़ाना
चल मेरे दिल खुला है मयख़ाना,
शाम के वक़्त बैठने के लिए
सब से अच्छी जगह है मयख़ाना,
ख़त है शायद किसी शराबी का
ख़त के ऊपर लिखा है मयख़ाना,
किस तरह छोड़ दूँ इसे वाइज़
मुश्किलों से मिला है मयख़ाना,
ज़िंदगी जब गुज़ारनी है कहीं
यार फिर क्या बुरा है मयख़ाना,
जब से वो आँख है ख़फ़ा हम से
यूँ लगे है ख़फ़ा है मयख़ाना..!!
~अज्ञात


























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