जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है…

जिधर देखते है हर तरफ गमो के अम्बार देखते है
हर किसी को रंज़ ओ अलम में गिरफ्तार देखते है,

ख़ुदा जाने ख़ुशियों को किसकी नज़र लग गई
ईद पर भी मुल्क में माहौल ना साज़गार देखते है,

क्या ये वजह ए ग़ुरबत है या फिर कोई और ही वजह
बहरहाल एक अनचाहा सा मुसल्लत आज़ार देखते है,

हर एक अपना सा मुँह लिए बैठा है किसी कोने में
इस बेरुखी के कारण हर रिश्ते में आई दरार देखते है,

छोटे बड़े का अदब मानो जैसे भूल से गए हो सभी
नतीजतन हर तरफ गुस्ताखी का गरम बाज़ार देखते है,

अब कौन जाए किस की तरफ फ़ुर्सत कहाँ किसी को
यानि आप ख़ुद में महदूद हर दोस्त ओ यार देखते है,

नफसा नफसी का दौर है आज जहाँ जिस तरफ़ भी देखे
हर कोई ख़ुद से ही हो चुका है तंग यानि बेज़ार देखते है..!!

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