किसी को नींद मिली तो किसी को ख़्वाब मिला
हर एक बशर को याँ मौक़ा ए इंतिख़ाब मिला,
वो नाप तौल के पाया थी आरज़ू जिस की
नहीं थी आरज़ू जिस की वो बे हिसाब मिला,
खुला मिला कोई चेहरा ढका मिला कोई
सभी की ज़ात पे हम को मगर हिजाब मिला,
नक़ाब इतने हैं चेहरा ही भूल जाएँगे
अगर वो शीशा ए दिल में न बेनक़ाब मिला,
रहे सवाल तो बेख़ौफ़ ही हमारे मगर
सवाल से हमें सहमा सा हर जवाब मिला,
सभी अज़ाबों से पहले ये ज़िंदगी थी मिली
सभी अज़ाबों से पहले यही अज़ाब मिला,
इस इज़्तिराब के सहरा में है सुकूँ का गुमाँ
मिला भी तिश्नगी को तो यही सराब मिला..!!
~नवीन जोशी

























