ये जिस्म मेरा थक के बहुत चूर हुआ है

ये जिस्म मेरा थक के बहुत चूर हुआ है
किस कार ए मुसलसल पे ये मामूर हुआ है ?

वो नींद मिली है कि जो पूरी नहीं होती
वो ख़्वाब मिला है कि जो माज़ूर हुआ है,

जो ख़ौफ़ ए जराहत में खुला छोड़ दिया था
वो ज़ख़्म मवादों भरा नासूर हुआ है,

एक बार अगर सानेहा में सूद जो देखा
फिर ज़ौक़ ए हवादिस बड़ा भरपूर हुआ है,

कुछ वक़्त ज़रा और नहर दूध की लेगी
फ़रहाद को तेशा नहीं मंज़ूर हुआ है,

जो हम से ये कहते थे रिवायत नहीं इस की
अब उन के ही कहने पे ये दस्तूर हुआ है,

अब मस्लहतन ही हुआ पैदा कोई मूसा
अब मस्लहतन कोह कोई तूर हुआ है..!!

~नवीन जोशी

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