तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ

तेरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
मेरी सादगी देख क्या चाहता हूँ,

सितम हो कि हो वादा ए बे हिजाबी
कोई बात सब्र आज़मा चाहता हूँ,

ये जन्नत मुबारक रहे ज़ाहिदों को
कि मैं आप का सामना चाहता हूँ,

ज़रा सा तो दिल हूँ मगर शोख़ इतना
वही लन तरानी सुना चाहता हूँ,

कोई दम का मेहमाँ हूँ ऐ अहल ए महफ़िल
चराग़ ए सहर हूँ बुझा चाहता हूँ,

भरी बज़्म में राज़ की बात कह दी
बड़ा बे अदब हूँ सज़ा चाहता हूँ..!!

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