बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया

bahut khauf tha jis ka fir wahi

बहुत था ख़ौफ़ जिस का फिर वही क़िस्सा निकल आया मेरे दुख से किसी आवाज़ का रिश्ता निकल

चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो

chupchap sulgata hai diya tum bhi

चुपचाप सुलगता है दिया तुम भी तो देखो किस दर्द को कहते हैं वफ़ा तुम भी तो देखो,

रोज़ कहाँ से कोई नया पन अपने आप में लाएँगे

roz roz kahan se koi naya pan

रोज़ कहाँ से कोई नया पन अपने आप में लाएँगे तुम भी तंग आ जाओगे एक दिन हम

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं

samndar me utarta hoon to aankhen

समुंदर में उतरता हूँ तो आँखें भीग जाती हैं तेरी आँखों को पढ़ता हूँ तो आँखें भीग जाती

आँखों से मेरी इस लिए लाली नहीं जाती

aankhon se meri is liye laali nahi

आँखों से मेरी इस लिए लाली नहीं जाती यादों से कोई रात जो ख़ाली नहीं जाती, अब उम्र

मुझे बताया गया था यहाँ मोहब्बत है

mujhe bataya gaya tha

मुझे बताया गया था यहाँ मोहब्बत है मैं आ गया हूँ दिखाओ कहाँ मोहब्बत है ? यहाँ के

लिपट के सोच से नींदें हराम करती है

lipat ke soch se neende haram karti hai

लिपट के सोच से नींदें हराम करती है तमाम शब तेरी हसरत कलाम करती है, हमी वो इल्म

राजनीति की राह में तो ये करते है वादे हज़ार

rajniti ki raah me to ye karte hai

राजनीति की राह में तो ये करते है वादे हज़ार निभाने की बारी जब भी आये हो जाते

न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है

na hai butqada ki talab mujhe

न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है जहाँ लुट गया है सुकून

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता

ab to koi bhi kisi ki baat nahin

अब तो कोई भी किसी की बात नहीं समझता अब कोई भी किसी के जज़्बात नहीं समझता, अपने