इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना
इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना हों घड़े कच्चे तो दरिया में उतर मत
इश्क़ की राह में यूँ हद से गुज़र मत जाना हों घड़े कच्चे तो दरिया में उतर मत
फूल से मासूम बच्चों की ज़बाँ हो जाएँगे मिट भी जाएँगे तो हम एक दास्ताँ हो जाएँगे, मैंने
सुनो ये ग़म की सियह रात जाने वाली है अभी अज़ान की आवाज़ आने वाली है, तुझे यक़ीन
भूले बिसरे हुए ग़म याद बहुत करता है मेरे अंदर कोई फ़रियाद बहुत करता है, रोज़ आता है
ज़िंदगी से यही गिला है मुझे तू बहुत देर से मिला है मुझे, तू मोहब्बत से कोई चाल
ज़माने की हवा बदली उधर रंग ए चमन बदला गुलों ने जब रविश बदली अनादिल ने वतन बदला,
हर तरफ़ महकी हुई मेरे चमन की ख़ुशबू है फ़ज़ाओ में अज़ानों की भजन की ख़ुशबू, मुझ को
आओ मनाएँ हम सब मिल कर अब जश्न ए आज़ादी देस का झंडा ऊँचा रखे हाथ बनें फ़ौलादी,
अहिंसा की शमशीर चमकी इसी दिन ग़ुलामी की ज़ंजीर टूटी इसी दिन, गुलिस्ताँ की तक़दीर बदली इसी दिन
फ़र्द फ़र्द मस्त है, आज पंद्रह अगस्त है जोश है उबाल है, रंग है गुलाल है, गली गली