जान ओ दिल हम उन्ही पे निसार करते है…
जान ओ दिल हम उन्ही पे निसार करते हैहाँ है इक़रार सिर्फ उन्हें ही प्यार करते है, बंद
Hindi Shayari
जान ओ दिल हम उन्ही पे निसार करते हैहाँ है इक़रार सिर्फ उन्हें ही प्यार करते है, बंद
भाइयो में फ़साद क्या करूँ मैंबाप की ज़ायदाद क्या करूँ मैं, जिन में चुप रहने की नसीहत होऐसे
मेरे दिल में मुहब्बत ज़रा देखिएचश्म ए पुरनम से मेरी वफ़ा देखिए, छोड़ जाएँगे मुझको ये एहसास हैजाते
जाने कितने रकीब रहते हैज़िन्दगी के क़रीब रहते है, मेरी सोचो के आस्तां से परेमेरे अपने हबीब रहते
ग़ज़ल की शक्ल में एक बात है सुनाने कीएक उसका नाम है वजह मुस्कुराने की, इस तरह राब्ता
भूल पाते हम नहीं गुज़रा ज़माना चाहकर भीया खुदा नहीं ऐसे किसी को तड़पाना चाहिए, संगदिलो में भी
मुझे अपनों में उलझन ही रही हैरहा हूँ दुश्मनों में ख़ुश हमेशा, है इनकी इस अदा पे जान
फ़ासले क़ुर्ब की पहचान हुआ करते हैबेसबब लोग परेशान हुआ करते है, ये हकीक़त है जहाँ टूट के
यहाँ पल पल चलना पड़ता हैहर रंग में ढलना पड़ता है, हर मोड़ पे ठोकर लगती हैहर हाल
सर रख कर रोने को शाना चाहिए थामैं तन्हा था तुझको आना चाहिए था, आज मैं आया था