अहल ए उल्फ़त के हवालो पे हँसी आती है
अहल ए उल्फ़त के हवालो पे हँसी आती हैलैला मज़नू की मिसालो पे हँसी आती है, जब भी
Hindi Shayari
अहल ए उल्फ़त के हवालो पे हँसी आती हैलैला मज़नू की मिसालो पे हँसी आती है, जब भी
ज़ी चाहता है फ़लक पे जाऊँसूरज को गुरूब से बचाऊँ, बस मेरा चले जो गर्दिशो परदिन को भी
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों कीकोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानो की, दिल में वो
अंदाज़ हू ब हू तेरी आवाज़ ए पा का थादेखा निकल के घर से तो झोंका हवा का
जब तेरा हुक्म मिला तर्क ए मुहब्बत कर दीदिल मगर उसपे वो धड़का कि क़यामत कर दी, तुझसे
तलाशने सुकून को चला था एक रोज़ कोनफ्स के पीछे चला था एक रोज़ वो, उसे ख़बर नहीं
अब पहन लीजिये नक़ाबो कोआने दीजिये ना इन्क़लाबो को, तोड़ कर ख़ुशबू लीजिये एक बारऔर मसल दीजिये गुलाबो
किस तरह ये दिल हुआ तुम पर फ़िदा, लिख जाऊँगाअपनी पेशानी पे अपनी हर खता लिख जाऊँगा, नेक
शिद्दत से हो रहा है दिल बेक़रार आ जामुमकिन नहीं है मुझसे अब इंतज़ार आ जा, इस बार
वो दिखी थी आज ख़्वाब में मुझेचेहरा उनका गुलाब जैसा था, पड़ी जो नज़र तो झुकी न पलकवो