संग ए मरमर से तराशा हुआ ये शोख़ बदन….

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संग ए मरमर से तराशा हुआ ये शोख़ बदन इतना दिलकश है कि अपनाने को जी चाहता है,

वो नवाज़िशे वो इनायते वो बिला वजह की शिकायतें…

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वो नवाज़िशे वो इनायते वो बिला वजह की शिकायतें कभी रूठना कभी मनाना वो बिखरी सिमटी ख्वाहिशे, वो

उसे मैं क्यूँ बताऊँ…???

उसे मैं क्यूँ बताऊँ

उसे मैं क्यूँ बताऊँ ??? मैंने उसको कितना चाहा है, बताया झूठ हो जाता है, सच्ची बात की

अगर चाहते हो तुम सदा मुस्कुराना…

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अगर चाहते हो तुम सदा मुस्कुराना कभी अपनी माँ का दिल न दुखाना,   करो अपनी माँ की

वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो

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वो ख़ुद आँसू बहाएगा ज़रा तुम मर तो जाने दो मुझे वापस बुलाएगा ज़रा तुम मर तो जाने

फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई…

फिर झूम उठा सावन

फिर झूम उठा सावन फिर काली घटा छाई फिर दर्द ने करवट ली फिर याद तेरी आई, होंठो

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए…

चेहरे का ये निखार

चेहरे का ये निखार मुक़म्मल तो कीजिए ये रूप ये सिंगार मुक़म्मल तो कीजिए, रहने ही दे हुज़ूर

किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था…

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किसी तरंग किसी सर ख़ुशी में रहता था ये कल की बात है दिल ज़िन्दगी में रहता था,

ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी…

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ज़िन्दगी पाँव न धर ज़ानिब ए अंज़ाम अभी मेरे ज़िम्मे है अधूरे से कई काम अभी, अभी ताज़ा

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी…

कभी ख़ामोश रहोगी कभी

कभी ख़ामोश रहोगी कभी कुछ बोलोगी हमें भुलाना भी चाहो तो भूला ना पाओगी, कोई पूछेगा बे वजह