इस मुहब्बत के करम से पहले

is-muhabbat-ke-karam

इस मुहब्बत के करम से पहले ख़ुद को जीता था मैं तुमसे पहले, हसरत ओ यास ओ अलम

तुझे क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है

tumhe-kya-bataaoon-ae

तुझे क्या बताऊँ ऐ दिलरुबा तेरे सामने मेरा हाल है मुझे जुस्तुजू है फ़क़त तेरी मुझे सिर्फ़ तेरा

ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया

jah-e-qismat-agar

ज़हे क़िस्मत अगर तुम को हमारा दिल पसंद आया मगर ये दाग़ क्यूँ कर ऐ मह-ए-कामिल पसंद आया,

ख़ुद को न ऐ बशर कभी क़िस्मत पे छोड़ तू

khud-ko-n-ae

ख़ुद को न ऐ बशर कभी क़िस्मत पे छोड़ तू दरिया की तेज धार को हिम्मत से मोड़

सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं…

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सुना कर हाल क़िस्मत आज़मा कर लौट आए हैं उन्हें कुछ और बेगाना बना कर लौट आए हैं,

हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा…

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हाथ उठे जो दुआ को, तो दिल ऐसे रखा ख्वाहिशे बाद में रखी तुझे पहले रखा, वक़्त ने

दर्द हो, दुःख हो तो दवा कीजिए

dard-ho-dukh-ho

दर्द हो, दुःख हो तो दवा कीजिए फट पड़े आसमां तो क्या कीजिए ? नहीं इलाज़ ए गम

जब लहज़े बदल जाएँ तो वज़ाहते कैसी…

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जब लहज़े बदल जाएँ तो वज़ाहते कैसी नयी मयस्सर हो जाएँ तो पुरानी चाहतें कैसी ? वस्ल में

जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो…

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जब भी तुम चाहो मुझे ज़ख्म नया देते रहो बाद में फिर मुझे सहने की दुआ देते रहो,

इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाल

ishq-me-jaan se

इश्क़ में जान से गुज़रते है गुज़रने वाले मौत की राह नहीं देखते मरने वाले, आखिरी वक़्त भी