अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो

अपने ही भाई को

अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो अपने सहन के बीच में दीवार लगाते क्यूँ हो ?

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं

कुएँ जो पानी की

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं मगर नहंग भी दरिया की थाह रखते हैं, शहादत

जब भी बैठता हूँ लिखने

जब भी बैठता हूँ

जब भी बैठता हूँ लिखने कुछ लिखा जाता नहीं, एक उसके सिवा कोई मौज़ूअ मुझे याद आता नहीं,

दूसरा फ़ैसला नहीं होता

हसीं चेहरों से सूरत

दूसरा फ़ैसला नहीं होता इश्क़ में मशवरा नहीं होता, ख़ुद ही सौ रास्ते निकलते हैं जब कोई रास्ता

वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे

वो बेवफ़ा है उसे

वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे ? जो कश्तियों को

चश्म ए तर है सहाब है क्या है

चश्म ए तर है

चश्म ए तर है सहाब है क्या है अश्क गौहर है आब है क्या है ? मरना जीना

ये किस ने कहा तुम कूच करो

ये किस ने कहा

ये किस ने कहा तुम कूच करो बातें न बनाओ इंशा जी ये शहर तुम्हारा अपना है इसे

खो गया है जो उस को खोने दो

खो गया है जो

खो गया है जो उस को खोने दो फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो, सुनों ऐ बस्तियों

नई पोशाक पहने है पुराने ख़्वाब की हसरत

नई पोशाक पहने है

नई पोशाक पहने है पुराने ख़्वाब की हसरत मैं हँस कर टाल देती हूँ दिल ए बेताब की

वो काश मान लेता कभी हमसफ़र मुझे

वो काश मान लेता

वो काश मान लेता कभी हमसफ़र मुझे तो रास्तो के पेच का होता न डर मुझे, बेशक ये