तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए
तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए दिल मिले तो जान के दुश्मन क़बीले हो गए,
Gazals
तुम से मिलते ही बिछड़ने के वसीले हो गए दिल मिले तो जान के दुश्मन क़बीले हो गए,
नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है,
ज़मीं पे चल न सका आसमान से भी गया कटा के पर को परिंदा उड़ान से भी गया,
अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की कोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानों की, अपनी पोशाक
तख़्लीक़ पे फ़ितरत की गुज़रता है गुमाँ और इस आदम ए ख़ाकी ने बनाया है जहाँ और, ये
हालत ए हाल के सबब हालत ए हाल ही गई शौक़ में कुछ नहीं गया शौक़ की ज़िंदगी
तुम आए हो न शब ए इंतिज़ार गुज़री है तलाश में है सहर बार बार गुज़री है, जुनूँ
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी, कब
नया एक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम ? बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम ? ख़मोशी से
बे क़रारी सी बे क़रारी है वस्ल है और फ़िराक़ तारी है, जो गुज़ारी न जा सकी हम