इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी

ishq kar ke dekh

इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी इस क़दर उलझन में पहले ज़िंदगी देखी न

ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद

zindagi ko na bana

ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद, कौन घूँघट

जब से तू ने मुझे दीवाना बना रखा है

jab se tu ne

जब से तू ने मुझे दीवाना बना रखा है संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है,

फूल जैसी है कभी ये ख़ार की मानिंद है

Phool jaisi hai kabhi

फूल जैसी है कभी ये ख़ार की मानिंद है ज़िंदगी सहरा कभी गुलज़ार की मानिंद है, तुम क़लम

दिल की हर बात तेरी मुझ को बता देती है

dil ki har baat

दिल की हर बात तेरी मुझ को बता देती है तेरी ख़ामोश नज़र मुझ को सदा देती है,

ग़म ए उल्फ़त में डूबे थे उभरना भी ज़रूरी था

Gam e ulfat me

ग़म ए उल्फ़त में डूबे थे उभरना भी ज़रूरी था हमें राह ए मोहब्बत से गुज़रना भी ज़रूरी

अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर

ab khaaq to kiya

अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर करते हो इतनी बातें क्यूँ तुम बना बना

हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें

Hum Tujh se kis

हम तुझ से किस हवस की फ़लक जुस्तुजू करें दिल ही नहीं रहा है कि कुछ आरज़ू करें,

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं

Sar me sauda bhi

सर में सौदा भी नहीं दिल में तमन्ना भी नहीं लेकिन इस तर्क ए मोहब्बत का भरोसा भी

ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है ?

zindagi vaadi o sahra

ज़िंदगी वादी ओ सहरा का सफ़र है क्यूँ है ? इतनी वीरान मेरी राह गुज़र है क्यूँ है