न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है

na hai butqada ki talab mujhe

न है बुतकदा की तलब मुझे न हरम के दर की तलाश है जहाँ लुट गया है सुकून

अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की

Ab to shaharon se

अब तो शहरों से ख़बर आती है दीवानों की कोई पहचान ही बाक़ी नहीं वीरानों की, अपनी पोशाक

कभी ख़ुद कभी औरो को हटाते रहिए

कभी ख़ुद कभी औरो

कभी ख़ुद कभी औरो को हटाते रहिए बस यूँ ही रास्तो को सहल बनाते रहिए, कही उठ जाइए

दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं

duniya ki bulandi ke talabgar nahi ahi

दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं हम अहल ए ख़िरद तेरे परस्तार नहीं हैं, बरगद की तरह

ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है

zinda hoon jab tak gungunane hai

ज़िन्दा है जब तक मुझे बस गुनगुनाने है क्यूँकि गीत तेरे नाम के बड़े ही सुहाने है, है

किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा

kis simt chal padi hai khudaai ae mere khuda

किस सिम्त चल पड़ी है खुदाई ऐ मेरे ख़ुदा नफ़रत ही दे रही है दिखाई ऐ मेरे ख़ुदा,

हमसे तो किसी काम की बुनियाद न होवे

hamse-to-kisi-kaam-ki

हम से तो किसी काम की बुनियाद न होवे जब तक कि उधर ही से कुछ इमदाद न

हम न निकहत हैं न गुल हैं जो महकते जावें

ham-na-nikhat-hai

हम न निकहत हैं न गुल हैं जो महकते जावें आग की तरह जिधर जावें दहकते जावें, ऐ

नदी के पार उजाला दिखाई देता है

nadi-ke-paar-ujala

नदी के पार उजाला दिखाई देता है मुझे ये ख़्वाब हमेशा दिखाई देता है, बरस रही हैं अक़ीदत

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिए

kuch-parindo-ko-to

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिए कुछ को लेकिन आसमानों के खज़ाने चाहिए, दोस्तों का