इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो

is shahar me kahin pe humara makaan bhi ho

इस शहर में कहीं पे हमारा मकाँ भी हो बाज़ार है तो हम पे कभी मेहरबाँ भी हो,

कितना हसीन था तू कभी कुछ ख़याल कर

kitna hasin tha tu kabhi kuch khyal kar

कितना हसीन था तू कभी कुछ ख़याल कर अब और अपने आप को मत पाएमाल कर, मरने के

आँख में दहशत न थी हाथ में ख़ंजर न था

aankh me dahshat na thi haath me khanzar na tha

आँख में दहशत न थी हाथ में ख़ंजर न था सामने दुश्मन था पर दिल में कोई डर

मैं अपना नाम तेरे जिस्म पर लिखा देखूँ

main apna naam tere jism par likha dekhoon

मैं अपना नाम तेरे जिस्म पर लिखा देखूँ दिखाई देगा अभी बत्तियाँ बुझा देखूँ, फिर उस को पाऊँ

शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ

sharifon ke darakhton me chhupa ghar dekh leta hoon

शरीफ़े के दरख़्तों में छुपा घर देख लेता हूँ मैं आँखें बंद कर के घर के अंदर देख

कभी तो ऐसा भी हो राह भूल जाऊँ मैं

kabhi to aisa bhi ho raah bhool jaaoon main

कभी तो ऐसा भी हो राह भूल जाऊँ मैं निकल के घर से न फिर अपने घर में

आग पानी से डरता हुआ मैं ही था

aag paani se darta hua main hi tha

आग पानी से डरता हुआ मैं ही था चाँद की सैर करता हुआ मैं ही था, सर उठाए

शर्मिंदा अपनी जेब को करता नहीं हूँ मैं

sharminda apni jeb ko karta nahin hoon

शर्मिंदा अपनी जेब को करता नहीं हूँ मैं बाज़ार ए आरज़ू से गुज़रता नहीं हूँ मैं, पहचान ही

ऐसे न बिछड़ आँखों से अश्कों की तरह तू

aise na bichhad aankhon se ashko ki tarah

ऐसे न बिछड़ आँखों से अश्कों की तरह तू आ लौट के आ फिर तेरी यादों की तरह

जिस को भी देखो तेरे दर का पता पूछता है

jis ko bhi dekho tere dar ka pata puchta hai

जिस को भी देखो तेरे दर का पता पूछता है क़तरा क़तरे से समुंदर का पता पूछता है,