आज के माहौल में इंसानियत बदनाम है…

आज के माहौल में इंसानियत बदनाम है ये इनाद ए बाहमी का ही फ़क़त अंजाम है, हक़ शनासी

बूढ़ा टपरा, टूटा छप्पर और उस पर बरसातें सच..

budha tappar tuta chhappar aur uspar barsate sach

बूढ़ा टपरा, टूटा छप्पर और उस पर बरसातें सच उसने कैसे काटी होंगी, लंबी लंबी रातें सच, लफ़्जों

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह…

kis simt chal padi hai khudai mere khuda

दर्द से मेरा दामन भर दे या अल्लाह फिर चाहे दीवाना कर दे या अल्लाह, मैनें तुझसे चाँद

ना जाने कैसी तक़दीर पाई है…

naa jaane kaisi taqdeer paai hai

ना जाने कैसी तक़दीर पाई है जो आया आज़मा के चला गया, कल तक गले लगाने वाला भी

तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है…

tanav me jab aaye to dhaage tut jate hai

तनाव में जब आ जाए तो धागे टूट जाते है ज़रा सी बात पर पुराने रिश्ते टूट जाते

शाख़ से फूल से क्या उस का पता पूछती है…

shakh se fool se kya uska pata puchhti hai

शाख़ से फूल से क्या उसका पता पूछती है या फिर इस दश्त में कुछ और हवा पूछती

जुदाई में तेरी आँखों को झील करते हुए…

judai me teri aankho ko jheel karte hue

जुदाई में तेरी आँखों को झील करते हुए सुबूत ज़ाएअ’ किया है दलील करते हुए, मैं अपने आप

आओ बाँट ले सब दर्द ओ अलम…

aao baant le sab dard o alam

आओ बाँट ले सब दर्द ओ अलम कुछ तुम रख लो, कुछ हम रख ले अब पोंछ ले

आज जो तुम्हारी नज़र में एक तवायफ़ सी है वो…

आज जो तुम्हारी नज़र में एक तवायफ़ सी है वो तुम्हारी ही तो बनाई हुई बेअदब रिवायत सी

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की…

tinka tinka kaante tode saari raat karai ki

तिनका तिनका काँटे तोड़े सारी रात कटाई की क्यूँ इतनी लम्बी होती है चाँदनी रात जुदाई की ?