शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला न सका

shaksiyat-e-lakht-e

शख्सियत ए लख्त ए ज़िगर कहला न सका ज़न्नत के धनी क़दमों को मैं सहला न सका, दूध

ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है

gamo-ka-sailab-aya

ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है कुछ खोया तो कुछ पाया ज़रूर है, एक तुम हो जो दर्द

इस दिल में आह, आँखों में नाले है

is-dil-me-aah

इस दिल में आह, आँखों में नाले है हमें न सताओ हम तुम्हारे चाहने वाले है, मुहब्बत भरे

अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता

agar-tu-saath-chal

अगर तू साथ चल पड़ता सफ़र आसान हो जाता ख़ुशी से उम्र भर जीने का एक सामान हो

ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ?

ae-likhne-wale-aakhir

ऐ लिखने वाले आख़िर तू ही क्यूँ लिखता है ? है ये दर्द सबको फिर तुझे ही क्यूँ

आरज़ू को दिल ही दिल में घुट के रहना आ गया

aarzoo-ko-dil-hi

आरज़ू को दिल ही दिल में घुट के रहना आ गया और वो ये समझे कि मुझ को

इस बहते हुए लहू में मुझे तो

is bahte hue lahoo me

इस बहते हुए लहू में मुझे तो बस इन्सान नज़र आ रहा है लानत हो तुम पे तुम्हे

दुनिया में यूँ भी हमने गुज़ारी है ज़िन्दगी

duniya-me-yun-bhi

दुनिया में यूँ भी हमने गुज़ारी है ज़िन्दगी अपनी कहाँ है जैसे उधारी है ज़िन्दगी, आवाज़ मुझको ना

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है

sansar-ki-har-shay

संसार की हर शय का इतना ही फ़साना है एक धुंध से आना है एक धुंध में जाना

मर चुका हूँ कई बार फिर भी कई बार मरना है

mar-chuka-hoo-kai

मर चुका हूँ कई बार फिर भी कई बार मरना है मरने से पहले ज़िन्दगी को रग रग