सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी

sada rahegi yahi rawani ravan hai paani

सदा रहेगी यही रवानी रवाँ है पानी बहाओ इस का है जावेदानी रवाँ है पानी, बहाव में बह

मय ए फ़राग़त का आख़िरी दौर चल रहा था

may e faragat ka aakhiri daur chal raha tha

मय ए फ़राग़त का आख़िरी दौर चल रहा था सुबू किनारे विसाल का चाँद ढल रहा था, वो

हर दम तरफ़ है वैसे मिज़ाज करख़्त का

har dam taraf hai waise mizaz karakht ka

हर दम तरफ़ है वैसे मिज़ाज करख़्त का टुकड़ा मेरा जिगर है कहो संग सख़्त का, सब्ज़ान इन

एक लफ़्ज़ ए मोहब्बत का अदना ये फ़साना है

ek lafz e mohabbat ka adna ye fasana hai

एक लफ़्ज़ ए मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल ए आशिक़ फैले तो ज़माना है,

किसी रांझे से इतना दूर कहाँ कोई हीर रहती है

kisi raanjhe se itna door kahan koi heer rahti hai

किसी रांझे से इतना दूर कहाँ कोई हीर रहती है मैं अब लाहौर रहता हूँ, वो अब कश्मीर

नेकियों के ज़ुमरे में भी ये काम कर जाओ

nekiyo ke zumre me bhi ye kaam kar jaao

नेकियों के ज़ुमरे में भी ये काम कर जाओ मुस्कुरा के थोड़ा सा मेरे ज़ख़्म भर जाओ, कितने

उन लबों की याद आई गुल के मुस्कुराने से

un-labon-kee-yaad-aayi-gul-ke-muskuraane-se

उन लबों की याद आई गुल के मुस्कुराने से ज़ख़्म ए दिल उभर आए फिर बहार आने से,

दिल की बर्बादी में शामिल थी रज़ा आँखों की

dil kee barbadi me shamil thi raza ankhon kee

दिल की बर्बादी में शामिल थी रज़ा आँखों की इस की पादाश में काम आई ज़िया आँखों की,

बहार की धूप में नज़ारे हैं उस किनारे

bahaar kee dhoop me nazaare hai us kinare

बहार की धूप में नज़ारे हैं उस किनारे सफ़ेद पानी के सब्ज़ धारे हैं उस किनारे, वहाँ की

मुद्दत हुई अपनी आँखों को

muddat hui apni ankhon ko

मुद्दत हुई अपनी आँखों को क्यों अश्क फ़िशानी याद आई ? क्या दिल ने उन्हें फिर याद किया