कोई दुश्मन भला भाता किसे है
कोई दुश्मन भला भाता किसे है बनाना दोस्त भी आता किसे है फ़ना हो कर बक़ा पाता है
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कोई दुश्मन भला भाता किसे है बनाना दोस्त भी आता किसे है फ़ना हो कर बक़ा पाता है
बदहवासी बदगुमानी बेनियाज़ी आप की मुश्किलों में डाल देगी ज़िंदगानी आप की, देख कर हैरत है सब को
जहाँ ग़म है न अब कोई ख़ुशी है मोहब्बत उस जगह पर आ गई है, जिसे देखो उसे
मुश्किल में है जान बहुत जान है अब हैरान बहुत, उस पत्थर दिल इंसाँ पर होते रहे
लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में किस की बनी है आलम ए ना पाएदार में, इन
कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया, छोटी थी उम्र
शाम तक सुब्ह की नज़रों से उतर जाते हैं इतने समझौतों पे जीते हैं कि मर जाते हैं,
मोहब्बत तर्क की मैं ने गरेबाँ सी लिया मैं ने ज़माने अब तो ख़ुश हो ज़हर ये भी
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया, बर्बादियों का सोग
ये रुके रुके से आँसू ये दबी दबी सी आहें यूँही कब तलक ख़ुदाया ग़म ए ज़िंदगी निबाहें,