उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या
उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या मेरी हर बात बे असर
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उम्र गुज़रेगी इम्तिहान में क्या दाग़ ही देंगे मुझ को दान में क्या मेरी हर बात बे असर
जान हम तुझ पे दिया करते हैं नाम तेरा ही लिया करते हैं, चाक करने के लिए ऐ
क़ैद शीशे में रहूँ अक्स बनूँ शाद रहूँ या कि फिर फोड़ के ये आइना आज़ाद रहूँ यूँ
हम अब क्या बताएँ कहाँ तक गए गुमाँ के मुसाफ़िर गुमाँ तक गए, हिसार ए जहाँ तक है
ये जिस्म मेरा थक के बहुत चूर हुआ है किस कार ए मुसलसल पे ये मामूर हुआ है
कोई हसरत कोई अरमान नहीं रखते हैं हम तो मुद्दत से ये सामान नहीं रखते हैं, ज़ख़्म रखते
वो ज़ख़्म छोड़ो अब जिसका निशान बाक़ी नहीं सो मेरे हक़ में कोई भी बयान बाक़ी नहीं, बच्चे
बे सोज़ ए निहाँ महव ए फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता जब तक न लगे आग धुआँ हो नहीं
ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए अपनों ने जो किए थे सितम याद आ
ग़म ए जानाँ से दिल मानूस जब से हो गया मुझ को हँसी अच्छी नहीं लगती ख़ुशी अच्छी