हम ने जो दीप जलाए हैं तेरी गलियों में

hum ne jo deep jalayae hain

हम ने जो दीप जलाए हैं तेरी गलियों में अपने कुछ ख़्वाब सजाए हैं तेरी गलियों में, जाने

वो ख़ुश अंदाज़ ओ ख़ुश अतवार कहीं मिलते हैं

wo khush andaz o khush avtar kahin milte

वो ख़ुश अंदाज़ ओ ख़ुश अतवार कहीं मिलते हैं ज़िंदगी तेरे परस्तार कहीं मिलते हैं, जैसे एक मोड़

इश्क़ से अक़्ल का फ़ुक़्दान ख़रीदा हम ने

ishq se aql ka fuqdaan kharida ham ne

इश्क़ से अक़्ल का फ़ुक़्दान ख़रीदा हम ने और वो भी अलल ऐलान ख़रीदा हम ने, हम ने

दुश्वार है इस अंजुमन आरा को समझना

dushwaar hai is anjuman aara ko samjhna

दुश्वार है इस अंजुमन आरा को समझना तन्हा न कभी तुम दिल ए तन्हा को समझना, हो जाए

वही बेबाकी ए उश्शाक़ है दरकार अब भी

wahi bebaki e ushshaaq hai darkar ab bhi

वही बेबाकी ए उश्शाक़ है दरकार अब भी है वही सिलसिला ए आतिश ओ गुलज़ार अब भी, अब

मआल ए अहल ए ज़मीं बर सर ए ज़मीं आता

maaal e ahal e zamin bar sar e zamin

मआल ए अहल ए ज़मीं बर सर ए ज़मीं आता जो बे यक़ीन हैं उन को भी फिर

गुज़र गई है अभी साअत ए गुज़िश्ता भी

guzar gayi hai abhi saaat e guzishta

गुज़र गई है अभी साअत ए गुज़िश्ता भी नज़र उठा कि गुज़र जाएगा ये लम्हा भी, बहुत क़रीब

हम पस ए वहम ओ गुमाँ भी देख लेते हैं तुझे

hum pas e waham o gumaan bhi dekh

हम पस ए वहम ओ गुमाँ भी देख लेते हैं तुझे देखने वाले यहाँ भी देख लेते हैं

हम अपने आप में रहते हैं दम में दम जैसे

ham apne aap me rahte hain

हम अपने आप में रहते हैं दम में दम जैसे हमारे साथ हों दो चार भी जो हम

जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब

jo ashk barsa rahe hai sahib

जो अश्क बरसा रहे हैं साहिब ये राएगाँ जा रहे हैं साहिब, यही तग़य्युर तो ज़िंदगी है अबस