न ज़रूरत है दवा की न दुआ की दोस्तों !
न ज़रूरत है दवा की न दुआ की दोस्तों ! दिल की गहराई से ज्यादा दर्द के फोड़े
Sad Poetry
न ज़रूरत है दवा की न दुआ की दोस्तों ! दिल की गहराई से ज्यादा दर्द के फोड़े
ये और बात दूर रहे मंज़िलों से हम बच कर चले हमेशा मगर क़ाफ़िलों से हम, होने को
तू काश मिले मुझको अकेली तो बताऊँ सुलझे मेरी क़िस्मत की पहेली तो बताऊँ, आने से तेरे पहले
अपनों ने वो रंज दिए हैं बेगाने याद आते हैं देख के उस बस्ती की हालत वीराने याद
अफ़सोस तुम्हें कार के शीशे का हुआ है परवाह नहीं एक माँ का जो दिल टूट गया है,
हिज़्र के मौसम में ये बारिश का बरसना कैसा ? एक सहरा में समन्दर का गुज़रना कैसा ?
धड़कन धड़कन यादों की बारात अकेला कमरा मैं और मेरे ज़ख़्मी एहसासात अकेला कमरा, गए दिनों की तस्वीरों
आज सीलिंग फैन से लटकी हुई है ये मुहब्बत किस कदर भटकी हुई है, गैरो के कंधो पर
ढूँढ़ते क्या हो इन आँखों में कहानी मेरी ख़ुद में गुम रहना तो आदत है पुरानी मेरी, भीड़
भूख के एहसास को शेर ओ सुख़न तक ले चलो या अदब को मुफ़लिसों की अंजुमन तक ले