तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है
तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है तेरी एक निगाह की बात है मेंरी ज़िंदगी
Sad Poetry
तुझे क्या सुनाऊँ मैं दिलरुबा तेरे सामने मेंरा हाल है तेरी एक निगाह की बात है मेंरी ज़िंदगी
बदन को काटता है दुख, मलाल नोचते हैं ये दर्द भेड़िए हैं और खाल नोचते हैं, अज़ाब ए
कभी वो हाथ न आया हवाओं जैसा है वो एक शख़्स जो सचमुच ख़ुदाओं जैसा है, हमारी शम
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए इस मेरी तबाही में तेरा नाम न आए, ये
इश्क़ कर के देख ली जो बेबसी देखी न थी इस क़दर उलझन में पहले ज़िंदगी देखी न
ज़िंदगी को न बना लें वो सज़ा मेरे बाद हौसला देना उन्हें मेरे ख़ुदा मेरे बाद, कौन घूँघट
जब से तू ने मुझे दीवाना बना रखा है संग हर शख़्स ने हाथों में उठा रखा है,
फूल जैसी है कभी ये ख़ार की मानिंद है ज़िंदगी सहरा कभी गुलज़ार की मानिंद है, तुम क़लम
ग़म ए उल्फ़त में डूबे थे उभरना भी ज़रूरी था हमें राह ए मोहब्बत से गुज़रना भी ज़रूरी
अब ख़ाक तो किया है दिल को जला जला कर करते हो इतनी बातें क्यूँ तुम बना बना