हिन्द का आज़ाद हो जाना कोई आसाँ नहीं
हिन्द का आज़ाद हो जाना कोई आसाँ नहीं देखना तुम को अभी क्या क्या दिखाया जाएगा, देखना तुम
Sad Poetry
हिन्द का आज़ाद हो जाना कोई आसाँ नहीं देखना तुम को अभी क्या क्या दिखाया जाएगा, देखना तुम
रंग ओ बू के जहाँ के थे ही नहीं इस ज़मीं आसमाँ के थे ही नहीं, राह ओ
कोई दुश्मन भला भाता किसे है बनाना दोस्त भी आता किसे है फ़ना हो कर बक़ा पाता है
बदहवासी बदगुमानी बेनियाज़ी आप की मुश्किलों में डाल देगी ज़िंदगानी आप की, देख कर हैरत है सब को
दीदार माहताब का शब भर नहीं हुआ रौशन मेंरे नसीब का अख़्तर नहीं हुआ, हर दम वही हुआ
हिज्र की धूप में छाओं जैसी बातें करते हैं आँसू भी तो माओं जैसी बातें करते हैं, रस्ता
इंसाफ ज़ालिमों की हिमायत में जायेगा ये हाल है तो कौन अदालत में जायेगा ? दस्तार नोच नोच
हर सू जहाँ में शाम ओ सहर ढूँढते हैं हम जो दिल में घर करे वो नज़र ढूँढते
चराग़ ख़ुद ही बुझाया बुझा के छोड़ दिया वो ग़ैर था उसे अपना बना के छोड़ दिया, हज़ार
कुटिया में कौन आएगा इस तीरगी के साथ अब ये किवाड़ बंद करो ख़ामोशी के साथ, साया है