दुश्मन है कौन और मेरा यार कौन है

dushman hai kaun aur

दुश्मन है कौन और मेरा यार कौन है खुलता नहीं कि बरसर ए पैकार कौन है ? दरिया

सरबुरीदा कोई लश्कर नहीं देखा जाता

sarburida koi lashkar nahin

सरबुरीदा कोई लश्कर नहीं देखा जाता हम से ये ज़ुल्म का मंज़र नहीं देखा जाता, अपनी आँखों को

बदला मिज़ाज मैं ने जो अपना हवा के साथ

badla mizaj mai ne

बदला मिज़ाज मैं ने जो अपना हवा के साथ दरिया था मेरे साथ किनारा हवा के साथ, फिर

बे सोज़ ए निहाँ महव ए फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता

be soz e nihaan

बे सोज़ ए निहाँ महव ए फ़ुग़ाँ हो नहीं सकता जब तक न लगे आग धुआँ हो नहीं

ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए

gairo ke jab bhi

ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए अपनों ने जो किए थे सितम याद आ

ग़म ए जानाँ से दिल मानूस जब से हो गया मुझ को

gam e jaanaan se

ग़म ए जानाँ से दिल मानूस जब से हो गया मुझ को हँसी अच्छी नहीं लगती ख़ुशी अच्छी

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं

aisa toofaan hai ki

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं डूबने वाले को तिनके का सहारा भी नहीं, की

गेसू रुख़ ए रौशन से वो टलने नहीं देते

gesu rukh e raushan

गेसू रुख़ ए रौशन से वो टलने नहीं देते दिन होते हुए धूप निकलने नहीं देते, आँचल में

दोस्तों के सितम की बात करो

doston ke sitam ki

दोस्तों के सितम की बात करो बात ग़म की है ग़म की बात करो सच्ची बातों के हो

वक़्त जब साज़गार होता है

waqt jab saazgaar hota

वक़्त जब साज़गार होता है सच है दुश्मन भी यार होता है, बाँट ले ग़म जो ग़म के