अब छत पे कोई चाँद टहलता ही नहीं है

ab chhat pe koi chaand tahlta hi nahin

अब छत पे कोई चाँद टहलता ही नहीं है दिल मेरा मगर पहलू बदलता ही नहीं है, कब

मैं जिस जगह भी रहूँगा वहीं पे आएगा

main jis jagah bhi rahoonga wahi pe

मैं जिस जगह भी रहूँगा वहीं पे आएगा मेरा सितारा किसी दिन ज़मीं पे आएगा, लकीर खींच के

सड़क पे दौड़ते महताब देख लेता हूँ

sadak pe daudte maahtab dekh leta hoon

सड़क पे दौड़ते महताब देख लेता हूँ मैं चलता फिरता हुआ ख़्वाब देख लेता हूँ, मेरी नज़र से

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है

kabhi kabhi kitna nuqsan uthana padta hai

कभी कभी कितना नुक़सान उठाना पड़ता है ऐरों ग़ैरों का एहसान उठाना पड़ता है, टेढ़े मेढ़े रस्तों पर

जल बुझा हूँ मैं मगर सारा जहाँ ताक में है

jal bujha hoon main magar saara jahan

जल बुझा हूँ मैं मगर सारा जहाँ ताक में है कोई तासीर तो मौजूद मेरी ख़ाक में है,

ज़रा सी धूप ज़रा सी नमी के आने से

zara see dhoop zara see nami ke aane se

ज़रा सी धूप ज़रा सी नमी के आने से मैं जी उठा हूँ ज़रा ताज़गी के आने से,

तेरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ

tere khyal ko zanjeer karta rahta hoon

तेरे ख़याल को ज़ंजीर करता रहता हूँ मैं अपने ख़्वाब की ताबीर करता रहता हूँ, तमाम रंग अधूरे

देख रहा है दरिया भी हैरानी से

dekh raha hai dariya bhi hairani se

देख रहा है दरिया भी हैरानी से मैं ने कैसे पार किया आसानी से, नदी किनारे पहरों बैठा

क्यूँ आँखें बंद कर के रस्ते में चल रहा हूँ

kyun aankhen band kar ke

क्यूँ आँखें बंद कर के रस्ते में चल रहा हूँ क्या मैं भी रफ़्ता रफ़्ता पत्थर में ढल

थपक थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं

thapak thapak ke jinehn hum sulate

थपक थपक के जिन्हें हम सुलाते रहते हैं वो ख़्वाब हम को हमेशा जगाते रहते हैं, उमीदें जागती