आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है जिंदगी

aap kahte hai saraapa gulmuhar hai zindagi

आप कहते हैं सरापा गुलमुहर है जिंदगी हम ग़रीबों की नज़र में क़हर है जिंदगी, भुखमरी की धूप

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई…

wo jiske hath me chhale hai pairo me bivaai hai

वो जिसके हाथ में छाले हैं पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपके बंगले में

बज़ाहिर प्यार की दुनियाँ में जो नाकाम…

bazaahir pyar ki duniyan me jo naqam hota hai

बज़ाहिर प्यार की दुनियाँ में जो नाकाम होता है कोई रूसो कोई हिटलर कोई खय्याम होता है, ज़हर

कोई बचने का नहीं सब का पता जानती है

koi bachne ka nahi sab ka pata janti hai

कोई बचने का नहीं सब का पता जानती है किस तरफ़ आग लगाना है हवा जानती है, उजले

ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम

zulm ke talkh andhero ke talabgaar ho tum

ज़ुल्म के तल्ख़ अंधेरो के तलबगार हो तुम ये इल्म है कि नफ़रत के मददगार हो तुम, जिसके

पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के…

paa sake na sukun jo jite ji wo mar ke kahan payenge

पा सके न सुकूं जो जीते जी वो मर के कहाँ पाएँगे शहर के बेचैन परिंदे फिर लौट

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए

mujhko apne bank ki kitab dijiye

मुझको अपने बैंक की क़िताब दीजिए देश की तबाही का हिसाब दीजिए, गाँव गाँव ज़ख़्मी फिजाएँ हो गई

अब दावत पे भी बारात पे भी टैक्स लगेगा

ab dawat pe bhi baarat pe bhi tax lagega

अब दावत पे भी बारात पे भी टैक्स लगेगा अब शादी की रसुमात पे भी टैक्स लगेगा, अब

हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है

haqir jaanta hai iftikhar maangta hai

हक़ीर जानता है इफ्तिखार माँगता है वो ज़हर बाँटता है और प्यार माँगता है, ज़लील कर के रख

धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल…

dharti par jab khoon bahta hai badal rone lagta hai

धरती पर जब ख़ूँ बहता है बादल रोने लगता है देख के शहरों की वीरानी जंगल रोने लगता