बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो
बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो, किस
Political Poetry
बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो, किस
चुनाव से पहले मशरूफ़ होते है सारे ही उम्मीदवार दिन रात मीटिंगे होती है इन सबके प्यादे और
वतन की सर ज़मी से इश्क़ ओ उल्फ़त ही नहीं खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम
चंद सिक्को के एवज़ हर ज़ुर्म के सबूत मिटाने वालो इक्तिदार के नशे में धूत, लोगो पे ज़ुल्म
सुनो ! दौर ए बेहिस में जब कमाली हार जाता है हरामी जीत जाते है हलाली हार जाता
ख़बरें हुकुमत की क़ब्रें आवाम की हमको नहीं है लालच तुम्हारे इनाम की, बोया है तुमने जो भी
एक तो ज़ालिम उसपे क़हर आँखे दिखा रहा है अंज़ाम ए बेहया शायद अब नज़दीक आ रहा है,
अब भी कहता हूँ कि तुम्हे घबराना नहीं है घबरा कर कोई गलत क़दम उठाना नहीं है, हुनूज़
सोचता हूँ लहू तुम्हारा मैं गरमाऊँ किस तरह ? ऐ मेरी कौम तुम्हे आख़िर मैं जगाऊँ किस तरह
सियासत ने बदला मेंयार मुल्क में हुक्मरानी का देश चलने लगा है पा कर इशारे अमीर घरानों से,