गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया

girja me mandiron me

गिरजा में मंदिरों में अज़ानों में बट गया होते ही सुब्ह आदमी ख़ानों में बट गया, एक इश्क़

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़ ए ख़ुदा था पहले

dil me bando ke

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़ ए ख़ुदा था पहले ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले,

हर फ़ित्ना ओ तफ़रीक़ से बेज़ार हैं हम लोग

har fitna o tafriq

हर फ़ित्ना ओ तफ़रीक़ से बेज़ार हैं हम लोग साइल हैं मोहब्बत के तलबगार हैं हम लोग, हिन्दू

मुसलमाँ और हिन्दू की जान कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान ?

musalmaan aur hindu ki

मुसलमाँ और हिन्दू की जान कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान ? मैं उस को ढूँढ रहा हूँ, मेंरे बचपन

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ-ख़ार

दुश्मन की दोस्ती है अब अहल ए वतन के साथ

dushman ki dosti hai

दुश्मन की दोस्ती है अब अहल ए वतन के साथ है अब ख़िज़ाँ चमन में नए पैरहन के

तन्हा सफ़र में खुद को यूँ ही चलते देखा

tanha safar me khud

तन्हा सफ़र में खुद को यूँ ही चलते देखा भीड़ भरी दुनियाँ में खुद को संभलते देखा, ना

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो

मेरे ही लहू पर

मेरे ही लहू पर गुज़र औक़ात करो हो मुझ से ही अमीरों की तरह बात करो हो, दिन

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा

मेरे जुनूँ का नतीजा

मेरे जुनूँ का नतीजा ज़रूर निकलेगा इसी सियाह समुंदर से नूर निकलेगा, गिरा दिया है तो साहिल पे

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ

तेरे जहाँ से अलग

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से