हमें ये खौफ़ था एक दिन यहीं से टूटेंगे

hamen ye khauf tha ek din yahi se

हमें ये खौफ़ था एक दिन यहीं से टूटेंगे हमारे ख्वाब तुम्हारी तहीं से टूटेंगे, बददुआ तो नहीं

ये ज़हमत भी तो रफ़्ता रफ़्ता रहमत हो ही जाती है

ye jahmat bhi to rafta rafta rahmat..

ये ज़हमत भी तो रफ़्ता रफ़्ता रहमत हो ही जाती है मुसलसल गम से गम सहने की आदत

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के

door khwabon se muhabbat se kinara kar ke

दूर ख्वाबों से मुहब्बत से किनारा कर के जैसे गुजरेगी गुजारेंगे गुज़ारा कर के, अब तो दावा भी

लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल

likhta hoon dil ka haal subah o shaam

लिखतें हैं दिल का हाल सुबह ओ शाम मुसलसल तुम आते हो बहुत याद, सुबह ओ शाम मुसलसल,

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं

zaabte aur hi misdaq pe rakhe hue

ज़ाब्ते और ही मिस्दाक़ पे रखे हुए हैं आजकल सिदक़ ओ सफ़ा ताक़ पे रखे हुए हैं, वो

कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं

kitni sadiyan naa rasi ki intiha me

कितनी सदियाँ ना रसी की इंतिहा में खो गईं बे जहत नस्लों की आवाज़ें ख़ला में खो गईं,

जो होगा सब ठीक होगा होने दो जो होना है

jo hoga sab thik hoga

जो होगा सब ठीक होगा होने दो जो होना है मुँह देखे की बातें है सब किस ने

फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए

fir aaeen e aalam ki shayad

फिर आईना ए आलम शायद कि निखर जाए फिर अपनी नज़र शायद ताहद्द ए नज़र जाए, सहरा पे

नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं

nasib aazmane ke din aa rahe hai

नसीब आज़माने के दिन आ रहे हैं क़रीब उन के आने के दिन आ रहे हैं, जो दिल

हँसी में हक़ जता कर घर जमाई छीन लेता है

hansi me haque jata kar

हँसी में हक़ जता कर घर जमाई छीन लेता है मेरे हिस्से की टूटी चारपाई छीन लेता है,