कहो तो आज दिल ए बे क़रार कैसे हो ?
कहो तो आज दिल ए बे क़रार कैसे हो ? शब ए अलम के सताए नज़ार कैसे हो
Poetries
कहो तो आज दिल ए बे क़रार कैसे हो ? शब ए अलम के सताए नज़ार कैसे हो
भीगा हुआ है आँचल आँखों में भी नमी है फैला हुआ है काजल आँखों में भी नमी है,
अपने साये से भी अक्सर डर जाते है लोग जाने अनजाने में गुनाह कर जाते है लोग, लिखी
ज़िन्दगी ने लिया है ऐसा इम्तिहाँ मेरा सदा ही साथ रहा है गम ए दौराँ मेरा, दिन ओ
दुनियाँ की बुलंदी के तलबगार नहीं हैं हम अहल ए ख़िरद तेरे परस्तार नहीं हैं, बरगद की तरह
जिस वक़्त वालिदैन ने जनाज़े उठाये होंगे उस वक़्त कितने खून के आँसू बहाए होंगे, मुंसफ सज़ा कहाँ
बताओ दिल की बाज़ी में भला क्या बात गहरी थी ? कहा, यूँ तो सभी कुछ ठीक था
अपने अंदाज़ में औरों से जुदा लगते हो सब बला लगते हैं तुम रद ए बला लगते हो,
नाम ए मुहब्बत का यही इस्तिआरा है जो नहीं है हासिल वही होता हमारा है, माज़ी में छोड़
कुछ इस लिए भी तह ए आसमान मारा गया मैं अपने वक़्त से पहले यहाँ उतारा गया, ये