ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही न हो
ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही न हो ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही
Poetries
ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही न हो ज़िंदगी ये तो नहीं तुझ को सँवारा ही
तुझ से बिछड़ के हम भी मुक़द्दर के हो गए फिर जो भी दर मिला है उसी दर
तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही तुझे है मश्क़ ए सितम का मलाल वैसे ही
वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं
मेरा ख़ामोश रह कर भी उन्हें सब कुछ सुना देना ज़बाँ से कुछ न कहना देख कर आँसू
ऐ मेरे हम नशीं चल कहीं और चल इस चमन में अब अपना गुज़ारा नहीं, बात होती गुलों
एक अजनबी ख़याल में ख़ुद से जुदा रहा नींद आ गई थी रात मगर जागता रहा, संगीन हादसों
आइने का मुँह भी हैरत से खुला रह जाएगा जो भी देखेगा तुझे वो देखता रह जाएगा, हम
मोहब्बत के सिवा हर्फ़ ओ बयाँ से कुछ नहीं होता हवा साकिन रहे तो बादबाँ से कुछ नहीं
जब से उनका ख्याल रखा है दिल ने मुश्किल में डाल रखा है, उन पर दिल ये आ