लहू ने क्या तेरे ख़ंजर को दिलकशी दी है

लहू ने क्या तेरे

लहू ने क्या तेरे ख़ंजर को दिलकशी दी है कि हम ने ज़ख़्म भी खाए हैं दाद भी

ये जो ज़िंदगी की किताब है

ये जो ज़िंदगी की

ये जो ज़िंदगी की किताब है ये किताब भी क्या किताब है, कहीं एक हसीन सा ख़्वाब है

कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा

kahin-diraham-kahin-dollor

कहीं दिरहम कहीं डॉलर कहीं दीनार का झगड़ा कहीं लहँगा कहीं चोली कहीं शलवार का झगड़ा, वतन में

नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है

naam-se-gaandhi-ke-chidh

नाम से गाँधी के चिढ़ और बैर आज़ादी से है नफ़रतों की खाद हैं उल्फ़त मगर खादी से

कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे

कभी ख़ामोश बैठोगे कभी

कभी ख़ामोश बैठोगे, कभी कुछ गुनगुनाओगे मैं उतना ही याद आऊँगा मुझे जितना भुलाओगे, कोई जब पूछ बैठेगा

और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने

और क्या करता बयान

और क्या करता बयान ए गम तुम्हारे सामने मेरी आँखें हो गई पुरनम तुम्हारे सामने, हम जुदाई में

तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ

तलाश ए जन्नत ओ

तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ तलाश ए जन्नत ओ दोज़ख में रायेगाँ इंसाँ ज़मीं पे

जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया

jab-bhi-hansi-ki

जब भी हँसी की गर्द में चेहरा छुपा लिया बे लौस दोस्ती का बड़ा ही मज़ा लिया, एक

कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ?

कौन है नेक

कौन है नेक ? कौन बद है यहाँ ? किसी के हाथों में ये सनद है कहाँ ?

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत

buri-hai-kijiye-nafarat

बुरी है कीजिए नफ़रत निहायत मिटाए दिल से सदियों की अदावत चलो हम एक हो जाएँ, वो क्या