बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते

बैर दुनिया से क़बीले

बैर दुनिया से क़बीले से लड़ाई लेते एक सच के लिए किस किस से बुराई लेते, आबले अपने

ये बात फिर मुझे सूरज बताने आया है

ये बात फिर मुझे

ये बात फिर मुझे सूरज बताने आया है अज़ल से मेरे तआ’क़ुब में मेरा साया है, बुलंद होती

तेरा हाथ हाथ में हो अगर

तेरा हाथ हाथ में

तेरा हाथ, हाथ में हो अगर तो सफर ही असल ए हयात है, मेरे हर कदम पे हैं

जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़ ए आब

जाने कब किस के

जाने कब किस के छलकने से हो दुनिया ग़र्क़ ए आब मेरी मुट्ठी में है दरिया साग़र ओ

ठीक है कि ये जहाँ मुद्दत से उर्यानी पे था

ठीक है कि ये

ठीक है कि ये जहाँ मुद्दत से उर्यानी पे था पर किसे यूँ नाज़ कल तक चाक दामानी

दिल मेरा रक़्साँ है जब से अक़्ल इस शोरिश में है

दिल मेरा रक़्साँ है

दिल मेरा रक़्साँ है जब से अक़्ल इस शोरिश में है लर्ज़िश ए पा आसमाँ या ये जहाँ

जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है

जाने क्यूँ बर्बाद होना

जाने क्यूँ बर्बाद होना चाहता है सूरत ए फ़रहाद होना चाहता है, ज़ेहन से आख़िर में अब थक

मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे

मैं न कहता था

मैं न कहता था कि शहरों में न जा यार मेरे सोंधी मिट्टी ही में होती है वफ़ा

आधुनिक युग में विकसित साहित्यिक विधा

आधुनिक युग की कविता

आधुनिक युग की कविता 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 20वीं शताब्दी के प्रारंभ से विकसित हुई साहित्यिक विधा

रीति काव्य विधा व इसकी विशेषताएँ

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रीति काव्य मध्यकालीन काल के दौरान उभरी हिन्दी साहित्य की एक महत्वपूर्ण विधा है, जो लगभग 16वीं से