खो गया है जो उस को खोने दो

खो गया है जो

खो गया है जो उस को खोने दो फिर नया ख़्वाब मुझ को बोने दो, सुनों ऐ बस्तियों

नई पोशाक पहने है पुराने ख़्वाब की हसरत

नई पोशाक पहने है

नई पोशाक पहने है पुराने ख़्वाब की हसरत मैं हँस कर टाल देती हूँ दिल ए बेताब की

वो काश मान लेता कभी हमसफ़र मुझे

वो काश मान लेता

वो काश मान लेता कभी हमसफ़र मुझे तो रास्तो के पेच का होता न डर मुझे, बेशक ये

ये मोहब्बत जो मोहब्बत से कमाई हुई है

ये मोहब्बत जो मोहब्बत

ये मोहब्बत जो मोहब्बत से कमाई हुई है आग सीने में उसी ने तो लगाई हुई है, एक

कभी इस से कभी उस से मिला देता है

कभी इस से कभी

कभी इस से कभी उस से मिला देता है मे’यार अपना क्यूँ नज़रों से गिरा देता है ?

वो कौन है जो मुझ पे तअस्सुफ़ नहीं करता

वो कौन है जो

वो कौन है जो मुझ पे तअस्सुफ़ नहीं करता पर मेरा जिगर देख कि मैं उफ़्फ़ नहीं करता,

मरज़ ए इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे

मरज़ ए इश्क़ जिसे

मरज़ ए इश्क़ जिसे हो उसे क्या याद रहे न दवा याद रहे और न दुआ याद रहे,

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे

अब तो घबरा के

अब तो घबरा के ये कहते हैं कि मर जाएँगे मर के भी चैन न पाया तो किधर

कभी नज़रे मिला के कभी झुका के लूटा

कभी नज़रे मिला के

कभी नज़रे मिला के कभी झुका के लूटा कभी हँस के तो कभी मुस्कुरा के लूटा, मौज ए

धूप सरों पर और दामन में साया है

धूप सरों पर और

धूप सरों पर और दामन में साया है सुन तो सही जो पेड़ो ने फ़रमाया है, कैसे कह