लोग बैठे हैं यहाँ हाथों में ख़ंजर ले कर

लोग बैठे हैं यहाँ

लोग बैठे हैं यहाँ हाथों में ख़ंजर ले कर तुम कहाँ आ गए ये शाख़ ए गुल ए

दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ

दीवाना हूँ मैं बिखरे

दीवाना हूँ मैं बिखरे मोती चुनता हूँ लम्हा लम्हा जोड़ के सदियाँ बुनता हूँ, तन्हा कमरे सूना आँगन

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ

तेरे जहाँ से अलग

तेरे जहाँ से अलग एक जहान चाहता हूँ नई ज़मीन नया आसमान चाहता हूँ, बदन की क़ैद से

अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो

अपने ही भाई को

अपने ही भाई को हमसाया बनाते क्यूँ हो अपने सहन के बीच में दीवार लगाते क्यूँ हो ?

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं

कुएँ जो पानी की

कुएँ जो पानी की बिन प्यास चाह रखते हैं मगर नहंग भी दरिया की थाह रखते हैं, शहादत

जब भी बैठता हूँ लिखने

जब भी बैठता हूँ

जब भी बैठता हूँ लिखने कुछ लिखा जाता नहीं, एक उसके सिवा कोई मौज़ूअ मुझे याद आता नहीं,

दूसरा फ़ैसला नहीं होता

हसीं चेहरों से सूरत

दूसरा फ़ैसला नहीं होता इश्क़ में मशवरा नहीं होता, ख़ुद ही सौ रास्ते निकलते हैं जब कोई रास्ता

वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे

वो बेवफ़ा है उसे

वो बेवफ़ा है उसे बेवफ़ा कहूँ कैसे बुरा ज़रूर है लेकिन बुरा कहूँ कैसे ? जो कश्तियों को

चश्म ए तर है सहाब है क्या है

चश्म ए तर है

चश्म ए तर है सहाब है क्या है अश्क गौहर है आब है क्या है ? मरना जीना

ये किस ने कहा तुम कूच करो

ये किस ने कहा

ये किस ने कहा तुम कूच करो बातें न बनाओ इंशा जी ये शहर तुम्हारा अपना है इसे