जब हम हुदूद ए दैर ओ हरम से गुज़र गए

jab ham hudu e

जब हम हुदूद ए दैर ओ हरम से गुज़र गए हर सम्त उन का जल्वा अयाँ था जिधर

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़ ए ख़ुदा था पहले

dil me bando ke

दिल में बंदों के बहुत ख़ौफ़ ए ख़ुदा था पहले ये ज़माना कभी इतना न बुरा था पहले,

कहाँ कहाँ न गई मेहरबान की ख़ुशबू

kahan kahan na gayi

कहाँ कहाँ न गई मेहरबान की ख़ुशबू ज़माने भर में है उर्दू ज़बान की ख़ुशबू, बदन से जिस

हर फ़ित्ना ओ तफ़रीक़ से बेज़ार हैं हम लोग

har fitna o tafriq

हर फ़ित्ना ओ तफ़रीक़ से बेज़ार हैं हम लोग साइल हैं मोहब्बत के तलबगार हैं हम लोग, हिन्दू

मुसलमाँ और हिन्दू की जान कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान ?

musalmaan aur hindu ki

मुसलमाँ और हिन्दू की जान कहाँ है मेरा हिन्दोस्तान ? मैं उस को ढूँढ रहा हूँ, मेंरे बचपन

मुश्किल में है जान बहुत

mushkil me hai jaan

मुश्किल में है जान बहुत जान है अब हैरान बहुत,   उस पत्थर दिल इंसाँ पर होते रहे

अगर है मंज़ूर ये कि होवे हमारे सीने का दाग़ ठंडा

agar hai manzar ye

अगर है मंज़ूर ये कि होवे हमारे सीने का दाग़ ठंडा तो आ लिपटिए गले से ऐ जाँ

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में

lagta nahin hai dil

लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में किस की बनी है आलम ए ना पाएदार में, इन

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया

koshish ke bavjood ye

कोशिश के बावजूद ये इल्ज़ाम रह गया हर काम में हमेशा कोई काम रह गया, छोटी थी उम्र

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है

koi hindu koi muslim

कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई है सब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है, इतनी ख़ूँ-ख़ार