तुम जिस को ढूँडते हो ये महफ़िल नहीं है वो

tum jis ko dhoondhte ho ye mahfil nahi hai

तुम जिस को ढूँडते हो ये महफ़िल नहीं है वो लोगों के इस हुजूम में शामिल नहीं है

जब तक खुली नहीं थी असरार लग रही थी

jab tak khuli nahin thi asrar lag rahi thi

जब तक खुली नहीं थी असरार लग रही थी ये ज़िंदगी मुझे भी दुश्वार लग रही थी, मुझ

किस लम्हे हम तेरा ध्यान नहीं करते

kis lamhen hum tera dhayan nahi karte

किस लम्हे हम तेरा ध्यान नहीं करते हाँ कोई अहद ओ पैमान नहीं करते, हर दम तेरी माला

कहीं पे जिस्म कहीं पर ख़याल रहता है

kahin pe zism kahin par khyal rahta hai

कहीं पे जिस्म कहीं पर ख़याल रहता है मोहब्बतों में कहाँ एतिदाल रहता है, फ़लक पे चाँद निकलता

हर घर में कोई तहख़ाना होता है

har ghar me koi tahkhana hota hai

हर घर में कोई तहख़ाना होता है तहख़ाने में एक अफ़्साना होता है, किसी पुरानी अलमारी के ख़ानों

इल्म ओ हुनर से क़ौम को रग़बत नहीं रही

ilm o hunar se qaum ko ragbat nahin rahi

इल्म ओ हुनर से क़ौम को रग़बत नहीं रही इस पर शिकायतें कि फ़ज़ीलत नहीं रही, बदलेगा क्या

पिछले किसी सफ़र का सितारा न ढूँढ ले

pichhle kisi safar ka sitara naa dhoondh le

पिछले किसी सफ़र का सितारा न ढूँढ ले फिर से कहीं वो साथ हमारा न ढूँढ ले, जिस

दिल के अंदर एक ज़रा सी बे कली है आज भी

dil ke andar ek zara see be kali hai

दिल के अंदर एक ज़रा सी बे कली है आज भी जो मेरे अफ़्कार में रस घोलती है

मेरे चेहरे में कोई और ही चेहरा देखे

mere chehre me koi aur hi

मेरे चेहरे में कोई और ही चेहरा देखे वक़्त माथे की लकीरों में वो ठहरा देखे, सब को

कहता रहे ज़माना गुनहगार ज़िंदगी

kahta rahe zamana gunahgaar zindagi

कहता रहे ज़माना गुनहगार ज़िंदगी कुछ लोग जी रहे हैं मज़ेदार ज़िंदगी, किरदार अपना अपना निभाते हैं सब