सब गुनाह ओ हराम चलने दो….

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सब गुनाह ओ हराम चलने दो कह रहे है निज़ाम चलने दो, ज़िद्द है क्या वक़्त को बदलने

ज़हालत की तारीकियो में गुम अहल ए वतन को

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ज़हालत की तारीकियो में गुम अहल ए वतन को वो ले कर तालीम की मशाल रास्ता दिखाने चला

एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ…

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एक शख्स की खातिर ज़बर कर बैठा हूँ मैं ज़िन्दगी को इधर उधर कर बैठा हूँ, उस लम्हे

मेरे ज़ख्मो की हालात को रफूगर जानता है…

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ख़ुदा की कौन सी है राह बेहतर जानता है मज़ा है नेकियों में क्या कलंदर जानता है, बहुत

ऐ निगाह ए दोस्त ये क्या हो गया, क्या कर दिया

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ऐ निगाह ए दोस्त ये क्या हो गया क्या कर दिया पहले पहले रौशनी दी फिर अँधेरा कर

दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे…

दिलो में बस अपने

चलो आओ हम एक वायदा करें दिलो में बस अपने मुहब्बत भरे, वो सब काम जिनसे दुखे दिल

सुरखाब क्या ख़रीदे असबाब क्या ख़रीदे

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सुरखाब क्या ख़रीदे असबाब क्या ख़रीदे फ़ितरत फ़कीर जिसकी अलक़ाब क्या ख़रीदे, ले जा इन्हें उठा कर सौदा

मत पूछो मुसलमान का हाल…

मत पूछो मुसलमान का

मत पूछो मुसलमान का हाल… मस्ज़िद के लिए सर कटाने को तैयार है लेकिन मस्ज़िद में सर झुकाने

फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा…

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फ़लक पे कितना उदास कितना तन्हा कितना बेकस सा लगा हिलाल ए ईद, हम हुजूम ए शहर में

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है…

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर

मैं हूँ मेरी चश्म-ए-तर है रात है तन्हाई है दर्द मेरा हम-सफ़र है रात है तन्हाई है, जुगनुओं