नदी के पार उजाला दिखाई देता है

nadi-ke-paar-ujala

नदी के पार उजाला दिखाई देता है मुझे ये ख़्वाब हमेशा दिखाई देता है, बरस रही हैं अक़ीदत

ज़बाँ है मगर बे ज़बानों में है

zaban-hai-magar-be

ज़बाँ है मगर बे ज़बानों में है नसीहत कोई उसके कानों में है, चलो साहिलों की तरफ़ रुख़

सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले

suna-hai-ye-jahan

सुना है ये जहाँ अच्छा था पहले ये जो अब दश्त है दरिया था पहले, जो होता कौन

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़

na-jism-saath-hamare

न जिस्म साथ हमारे न जाँ हमारी तरफ़ है कुछ भी हम में हमारा कहाँ हमारी तरफ़, खड़े

मेरे दिल में जब कोई मलाल होता है

mere-dil-me-jab

मेरे दिल में जब कोई मलाल होता है तुम क्या जानो मेरा कैसा हाल होता है, मेरी हर

ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ

ye-kab-chaha-ki

ये कब चाहा कि मैं मशहूर हो जाऊँ बस अपने आप को मंज़ूर हो जाऊँ, नसीहत कर रही

ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है

gamo-ka-sailab-aya

ग़मों का सैलाब आया ज़रूर है कुछ खोया तो कुछ पाया ज़रूर है, एक तुम हो जो दर्द

जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है

jo-neqi-kar-ke

जो नेकी कर के फिर दरिया में उसको डाल जाता है वो जब भी दुनिया से जाता है

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिए

kuch-parindo-ko-to

कुछ परिंदों को तो बस दो चार दाने चाहिए कुछ को लेकिन आसमानों के खज़ाने चाहिए, दोस्तों का

आख़िर वो मेरे क़द की भी हद से गुज़र गया

aakhir-wo-mere-qad

आख़िर वो मेरे क़द की भी हद से गुज़र गया कल शाम में तो अपने ही साये से