ये किन ख़यालों में खो रहे हो नई है…

ye kin khyalo me kho rahe ho

ये किन ख़यालों में खो रहे हो नई है बुनियाद ए आशियाना चमन की तामीर इस तरह हो

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई

rahne ko sada dahar me ata nahi koi

रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई, डरता हूँ

वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र शनास नहीं

wo dil nawaz hai lekin nazar shanaas nahi

वो दिल नवाज़ है लेकिन नज़र शनास नहीं मेरा इलाज मेरे चारागर के पास नहीं, तड़प रहे हैं

वो इस अदा से जो आए तो क्यूँ भला न…

wo is ada se jo aaye to kyun bhala na lage

वो इस अदा से जो आए तो क्यूँ भला न लगे हज़ार बार मिलो फिर भी आश्ना न

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए

wo sahilo pe gaane wale kya hue

वो साहिलों पे गाने वाले क्या हुए वो कश्तियाँ चलाने वाले क्या हुए ? वो सुब्ह आते आते

जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर…

jab bhi is shahar me kamre se main baahar nikla

जब भी इस शहर में कमरे से मैं बाहर निकला मेरे स्वागत को हर एक जेब से खंजर

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते

ye aarzoo thik ki tujhe gul ke rubru karte

ये आरज़ू थी तुझे गुल के रूबरू करते हम और बुलबुल ए बेताब गुफ़्तुगू करते, पयाम्बर न मयस्सर

कुछ भी था सच के तरफ़दार हुआ…

kuchh bhi tha sach ke tarafdaar hua karte the

कुछ भी था सच के तरफ़दार हुआ करते थे तुम कभी साहब ए किरदार हुआ करते थे, सुनते

मुसाफ़िर भी सफ़र में इम्तिहाँ देने से डरते हैं

musafir bhi safar me

मुसाफ़िर भी सफ़र में इम्तिहाँ देने से डरते हैं मोहब्बत क्या करेंगे वो जो जाँ देने से डरते

नींदों का बोझ पलकों पे ढोना पड़ा मुझे

neendon ka bojh palakon pe dhona pada mujhe

नींदों का बोझ पलकों पे ढोना पड़ा मुझे आँखों के इल्तिमास पे सोना पड़ा मुझे, ता उम्र अपने