सबब ए चश्म ए तर कैसे बताऊँ तुझे ?

sabab e chashm e tar kaise

सबब ए चश्म ए तर कैसे बताऊँ तुझे ? ज़ख़्म ए दिल ओ जाँ कैसे दिखाऊं तुझे ?

दिल किस के तसव्वुर में जाने…

dil kis ke tasavvur me jaane

दिल किस के तसव्वुर में जाने रातों को परेशाँ होता है ये हुस्न ए तलब की बात नहीं

दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब…

dil hizr ke dard se bojhl hai

दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो इस बात से हम को

दिल इश्क़ में बे पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो

ishq dil me be payaan sauda ho to aisa ho

दिल इश्क़ में बे पायाँ सौदा हो तो ऐसा हो दरिया हो तो ऐसा हो सहरा हो तो

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया

wo ek raat ki gardish me itna haar gaya

वो एक रात की गर्दिश में इतना हार गया लिबास पहने रहा और बदन उतार गया, हसब नसब

ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है

khud ko itna jo hawadaar samjh rakha

ख़ुद को इतना जो हवादार समझ रखा है क्या हमें रेत की दीवार समझ रखा है, हमने किरदार

दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर…

dard aasaani se kab pahlu badal kar nikla

दर्द आसानी से कब पहलू बदल कर निकला आँख का तिनका बहुत आँख मसल कर निकला, तेरे मेहमान

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था

faasle aise bhi honge ye kabhi sochaa na tha

फ़ासले ऐसे भी होंगे ये कभी सोचा न था सामने बैठा था मेरे और वो मेरा न था,

जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख…

jina mushkil hai ki aasaan zara dekh to lo

जीना मुश्किल है कि आसान ज़रा देख तो लो लोग लगते हैं परेशान ज़रा देख तो लो, फिर

गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ

Gar-maykash-hoon-to

गर मयकश हूँ तो जाम का मै तलबगार हूँ शिकस्तादिल हूँ मगर गम का खरीदार हूँ, काफिलों की