ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए

gairo ke jab bhi

ग़ैरों के जब भी लुत्फ़ ओ करम याद आ गए अपनों ने जो किए थे सितम याद आ

ग़म ए जानाँ से दिल मानूस जब से हो गया मुझ को

gam e jaanaan se

ग़म ए जानाँ से दिल मानूस जब से हो गया मुझ को हँसी अच्छी नहीं लगती ख़ुशी अच्छी

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं

aisa toofaan hai ki

ऐसा तूफ़ाँ है कि साहिल का नज़ारा भी नहीं डूबने वाले को तिनके का सहारा भी नहीं, की

गेसू रुख़ ए रौशन से वो टलने नहीं देते

gesu rukh e raushan

गेसू रुख़ ए रौशन से वो टलने नहीं देते दिन होते हुए धूप निकलने नहीं देते, आँचल में

दोस्तों के सितम की बात करो

doston ke sitam ki

दोस्तों के सितम की बात करो बात ग़म की है ग़म की बात करो सच्ची बातों के हो

वक़्त जब साज़गार होता है

waqt jab saazgaar hota

वक़्त जब साज़गार होता है सच है दुश्मन भी यार होता है, बाँट ले ग़म जो ग़म के

दोनों आलम से वो बेगाना नज़र आता है

dono aalam se wo

दोनों आलम से वो बेगाना नज़र आता है जो तेरे इश्क़ में दीवाना नज़र आता है, इश्क़ ए

मुझे रंज होगा न मौत का अगर ऐसी मौत नसीब हो

mujhe ranj hoga na

मुझे रंज होगा न मौत का अगर ऐसी मौत नसीब हो मेरा दम जो निकले तो ऐ ख़ुदा

आग भी दिल में लगी है और अश्क ए ग़म भी है

aag bhi dil me

आग भी दिल में लगी है और अश्क ए ग़म भी है इश्क़ कहते हैं जिसे शोला भी

यार के सामने अग़्यार बुरे लगते हैं

yaar ke saamne agyaar

यार के सामने अग़्यार बुरे लगते हैं फूल होता है जहाँ ख़ार बुरे लगते हैं रात के फूल